परियों के आसमां से उतरने जैसा रहा गंगा अवतरण नृत्य क्रॉसर पद्मश्री सासंद हेमा मालिनी ने अपने नरतिय से समाँ बाँध दिया |
प्रयागराज :
अद्भुत ,अद्वतिय , अनुपम ,मनोरम सभी शब्द कमतर | गंगा मंच पर मंगलवार की शाम जैसे असमां से परियों का अवतरण हो रहा था | अवसर था पद्मश्री सासंद ड्रीम गर्ल हेमा मालिनी के गंगा वैली नृत्य का |हेमा मालिनी की ओर से गंगा नृत्य नटिका में गंगा अवतरण की कहानी को पिरोया गया है गंगा माँ कैसे विष्णु जी के पग से वामनावतार में प्रकट हुईं इसके बाद ब्रम्हां जी के कमंडल में समा गईं जहाँ से राजा सगर के वंशज की तपस्या पर शिव जी के जटाओं में समा गईं यहाँ से भगीरथी की तपस्या पर शंकर जी की जटाओं से निकल कर धराधाम पर आइं इस परदृश्य को विभिन्न आयामों के माध्यम से उन्होंने प्रस्तुत किया इसके पहले पार्श्व गायक सुरेश वाडेकर की आवाज़ में गणेश वंदना ‘गजाननम भूत गणदि ………’ की वंदना की गई | इस पूरे नृत्य नाटिका के दौरान जय गंगे हर हर गंगे , गंगे गंगे त्रिपथ गामिनी गंगा देवी नमो अस्तुते की स्वर लहरियाँ गूँजती रही | अद्भुत धवल रूप में हेमा मालिनी असमां से परी जैसे उतरीं संग में १२ बालिकाओं का नृत्य हो रहा था | नृत्य के दौरान शिव जी एवं भगीरथि एवं भोले नाथ एवं गंगा के बीच का संवाद बहुत ही प्रभावशाली रहा | पत्रकार दीर्घा में बैठे संस्कृति विभाग के संयुक्त निदेशक अजय कुमार अग्रवाल के मुँह से बरबस निकल पड़ा कि गंगा अवतरण की कहानी का कथानक बहुत ही शक्तिशाली एवं तारीफ़ योग्य है | अब से पहले ऐसी प्रस्तुति नहीं की गई| ड्रीम गर्ल हेमा मालिनी की प्रशंशा करते हुए उन्होंने कहा वो हमारे युग की , समय की ख्याति प्राप्त कलाकारा हैं जिन्होंने भारतीय समाज में कला के विविध आयामों को प्रवाहित कर नैतिक मूल्यों प्रदान कर नई दिशा दी | माननीय हेमा जी की कला प्रस्तुति हमेशा आध्यात्मिक एवं सामाजिक मूल्यों से परिपूर्ण रही | गंगा नृत्य नाटिका में प्रकाश एवं ध्वनि की अत्याधुनिक तकनीक का प्रयोग कर भारतीय दर्शन के स्वरूप का दर्शन करवाया | इसके पहले उनके मंच पर पहुँचते ही दर्शक दीर्घा से हज़ारों हाथ उठ गए | कार्यक्रम में मंडलायुक्त डा आशीष गोयल , पिठाधेश्वर जूनाखाड़ा महामण्डलेश्वर अवधेशानंद महाराज समेत हज़ारों की संख्या में दर्शकगन मौजूद रहे | गंगा नृत्य माध्यम से नमामी गंगे की गंगा स्वक्ष करने की अवधारणा का संदेश दिया गया | जिसकी स्क्रिप्ट एवं कॉन्सेप्ट सांसद की ओर से लिखा गया था जबकि पार्श्व गायन सुरेश वाडेकर , कविता , शंकर महादेवन , मिक्का सिंह ,रेखा राओ , हेमा देसाई एवं अलाप देसाई की ओर से किया गया |
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